लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के लाइफ कोट्स/अनमोल विचारहेल्लो दोस्तों आजके पोस्ट में बाल गंगाधर तिलक के अनमोल विचार या बालगंगा धर के कोट्स लेकर आई हूँ बाल गंगाधर तिलक का मूल नाम केशव गंगाधर तिलक था बालगंगाधर जी का जन्म 23 जुलाई 1856 -को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था बालगंगा धर तिलक प्रतिभावान राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील तथा महान स्वतन्त्रता सेनानी थे। भारतीय स्वतन्त्रता के लिए उनके प्रयासों और स्वतन्त्रता के लिए जूनून को शब्दों में व्यक्त नही किया जा सकता स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक काल में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता के लिये नये विचार रखे और अनेक प्रयत्न किये। उन्हें अंग्रेजों ने “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। उन्हें, “लोकमान्य” का आदरणीय पदवी भी प्राप्त हुई, जिसका अर्थ है “लोगों द्वारा स्वीकृत” अथवा मान्यता
बाल गंगाधर तिलक जयंती
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जयंती
FAQ
लोकमान्य तिलक कैसे विचारक थे?
लोकमान्य तिलक का मुख्य नारा क्या था?
राष्ट्रीय शिक्षा पर तिलक के क्या विचार है वर्णन करें?
समाज सुधार पर तिलक के क्या विचार थे?
लोकमान्य बाल गंगाधर के लाइफ कोट्स
1
“आपके लक्ष्य की पूर्ति स्वर्ग से आये किसी जादू से नहीं हो सकेगी, आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, कार्य करने और कठोर श्रम करने के दिन यही हैं।”
aapake lakshy kee poorti svarg se aaye kisee jaadoo se nahin ho sakegee, aapako hee apana lakshy praapt karana hai, kaary karane aur kathor shram karane ke din yahee hain.
2
“तुम अगर दौड़ नही सकते तो मत दौड़ो, कम से कम दूसरों को तो दौड़ने दो।”
tum agar daud nahee sakate to mat daudo, kam se kam doosaron ko to daudane do.
3
“आप मुश्किल वक्त में खतरों और असफलताओं के डर से बचने की कोशिश ना करें, वे तो निश्चित रूप से आपके रास्ते में आएंगे ही।”
aap mushkil vakt mein khataron aur asaphalataon ke dar se bachane kee koshish na karen, ve to nishchit roop se aapake raaste mein aaenge hee.
4
“कर्त्तव्य पथ पर गुलाब-जल नहीं छिड़का जाता है और ना ही उसमे गुलाब उगते हैं।”
“karttavy path par gulaab-jal nahin chhidaka jaata hai aur na hee usame gulaab ugate hain.”
5
‘ देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करना सामाजिक सुधारों से अधिक। महत्वपूर्ण है”
desh kee svatantrata ke lie prayatn karana saamaajik sudhaaron se adhik. mahatvapoorn hai”
6
“जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन ताश के पत्तों के साथ अच्छा खेलना हमारी सफलता को निर्धारित करता है।”
“jeevan ek taash ke khel kee tarah hai, sahee patton ka chayan hamaare haath mein nahin hai, lekin taash ke patton ke saath achchha khelana hamaaree saphalata ko nirdhaarit karata hai.”
7
“मनुष्य का प्रमुख लक्ष्य भोजन प्राप्त करना ही नहीं है, एक कौवा भी जीवित रहता है और जूठन पर पलता है”
“manushy ka pramukh lakshy bhojan praapt karana hee nahin hai, ek kauva bhee jeevit rahata hai aur joothan par palata hai”
8
“हम हमारे सामने सही रास्ते के प्रकट होने के इंतजार में अपने दिन खर्च करते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि रास्ते इंतजार करने के लिए नहीं, बल्कि चलने के लिए बने हैं।”
“ham hamaare saamane sahee raaste ke prakat hone ke intajaar mein apane din kharch karate hain, lekin ham bhool jaate hain ki raaste intajaar karane ke lie nahin, balki chalane ke lie bane hain.”
9
“अपने हितों की रक्षा के लिए यदि हम स्वयं जागरूक नहीं होंगे तो दूसरा कोन होगा? हमे इस समय सोना नहीं चाहिये, हमे अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिये।”
“apane hiton kee raksha ke lie yadi ham svayan jaagarook nahin honge to doosara kon hoga? hame is samay sona nahin chaahiye, hame apane lakshy kee poorti ke lie prayatn karana chaahiye.”
10
“आपका लक्ष्य किसी जादू से नहीं पूरा होगा, बल्कि आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना पड़ेगा।”
“aapaka lakshy kisee jaadoo se nahin poora hoga, balki aapako hee apana lakshy praapt karana padega.”
11
“हम हमारे सामने सही रास्ते के प्रकट होने के इंतजार में अपने दिन खर्च करते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि रास्ते इंतजार करने के लिए नहीं, बल्कि चलने के लिए बने हैं।”
“ham hamaare saamane sahee raaste ke prakat hone ke intajaar mein apane din kharch karate hain, lekin ham bhool jaate hain ki raaste intajaar karane ke lie nahin, balki chalane ke lie bane hain.
12
“जब लोहा गरम हो तभी उस पर चोट कीजिये, आपको निश्चय ही सफलता का यश प्राप्त होगा।”
“jab loha garam ho tabhee us par chot keejiye, aapako nishchay hee saphalata ka yash praapt hoga.”
13
“कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है।””
“kamajor na banen, shaktishaalee banen aur yah vishvaas rakhen kee bhagavaan hamesha aapake saath hai.”
14
“धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं, सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाए देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है।”
“dharm aur vyaavahaarik jeevan alag nahin hain, sanyaas lena jeevan ka parityaag karana nahin hai. asalee bhaavana sirph apane lie kaam karane kee bajae desh ko apana parivaar bana milajul kar kaam karana hai
15
“कर्त्तव्य पथ पर गुलाब-जल नहीं छिड़का जाता है और ना ही उसमे गुलाब उगते हैं।”
“karttavy path par gulaab-jal nahin chhidaka jaata hai aur na hee usame gulaab ugate hain.
16
“अगर आप रास्ते में रुक कर हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे, तो आप कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। बेहतर होगा कि हाथ में बिस्कुट रखें और आगे बढ़ते जायें।”
“agar aap raaste mein ruk kar har bhaunkane vaale kutte par patthar phenkenge, to aap kabhee apane gantavy tak nahin pahunch paenge. behatar hoga ki haath mein biskut rakhen aur aage badhate jaayen.”
17
“प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता।”
“praatah kaal mein uday hone ke lie hee sooraj sandhya kaal ke andhakaar mein doob jaata hai aur andhakaar mein jae bina prakaash praapt nahin ho sakata.
18
“महान उपलब्धियाँ कभी भी सरलता से नहीं मिलती और सरलता से मिली उपलब्धियाँ महान नहीं होतीं।”
“mahaan upalabdhiyaan kabhee bhee saralata se nahin milatee aur saralata se milee upalabdhiyaan mahaan nahin hoteen.”
19
“यदि हम स्वयं अपने हितों की रक्षा के लिए जागरूक नहीं होंगे तो दूसरा कोन होगा? हमे इस समय सोना नहीं बल्कि अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिये।”
“yadi ham svayan apane hiton kee raksha ke lie jaagarook nahin honge to doosara kon hoga? hame is samay sona nahin balki apane lakshy praapti ke lie prayatn karana chaahiye.”
20
“प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता।”
“praatah kaal mein uday hone ke lie hee sooraj sandhya kaal ke andhakaar mein doob jaata hai aur andhakaar mein jae bina prakaash praapt nahin ho sakata.”
बाल गंगाधर तिलक के अनमोल विचार
21
“स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।”
“svaraaj mera janm siddh adhikaar hai, aur main ise lekar hee rahoonga.”
22
“आप केवल कर्म करते जाइए, उसके परिणामों पर ध्यान मत दीजिये।”
“aap keval karm karate jaie, usake parinaamon par dhyaan mat deejiye
23
“यदि भगवान छुआछूत को मानता है, तो मैं उसे भगवान नहीं कहूँगा।”
“yadi bhagavaan chhuaachhoot ko maanata hai, to main use bhagavaan nahin kahoonga.”
24
“यदि हम किसी भी देश के इतिहास को अतीत में जाएं, तो हम अंत में मिथकों और परम्पराओं के काल में पहुंच जाते हैं जो आखिरकार अभेद्य अंधकार में खो जाता है।”
“yadi ham kisee bhee desh ke itihaas ko ateet mein jaen, to ham ant mein mithakon aur paramparaon ke kaal mein pahunch jaate hain jo aakhirakaar abhedy andhakaar mein kho jaata hai.”
25
“एक अच्छे अखबार के शब्द अपने आप बोल देते हैं।”
“ek achchhe akhabaar ke shabd apane aap bol dete hain.”
26
“स्वाभिमानी और पवित्र हृदय वाला व्यक्ति निर्धन होने पर भी श्रेष्ठ माना जाता है।”
“svaabhimaanee aur pavitr hrday vaala vyakti nirdhan hone par bhee shreshth maana jaata hai.
27
“लोक हित से बढ़कर कुछ नही “
lok hit se badhakar kuchh nahee
28
“मानव स्वभाव ही ऐसा है कि हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते. उत्सव प्रिय होना मानव स्वभाव है. हमारे त्यौहार होने ही चाहिएं।”
“maanav svabhaav hee aisa hai ki ham bina utsavon ke nahin rah sakate. utsav priy hona maanav svabhaav hai. hamaare tyauhaar hone hee chaahien.”
29
“यदि हम किसी भी देश के इतिहास को अतीत में जाएं, तो हम अंत में मिथकों और परम्पराओं के काल में पहुंच जाते हैं जो आखिरकार अभेद्य अंधकार में खो जाता है।”
“yadi ham kisee bhee desh ke itihaas ko ateet mein jaen, to ham ant mein mithakon aur paramparaon ke kaal mein pahunch jaate hain jo aakhirakaar abhedy andhakaar mein kho jaata h
30
““ये सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है लेकिन ये भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है।”
““ye sach hai ki baarish kee kamee ke kaaran akaal padata hai lekin ye bhee sach hai ki bhaarat ke logon mein is buraee se ladane kee shakti nahin hai.”
31
“गर्म हवा के झोंकों में जाए बिना, कष्ट उठाये बिना,पैरों मे छाले पड़े बिना स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती। बिना कष्ट के कुछ नहीं मिलता।”
“garm hava ke jhonkon mein jae bina, kasht uthaaye bina,pairon me chhaale pade bina svatantrata nahin mil sakatee. bina kasht ke kuchh nahin milata.”
32
“गीता की सबसे व्यावहारिक शिक्षा, और जिसके लिए यह दुनिया के पुरुषों के लिए रुचि और मूल्य का है, जिनके साथ जीवन संघर्षों की एक श्रृंखला है, किसी भी रुग्णता को रास्ता नहीं देना है जब कर्तव्य कठोरता और भयानक चीजों का सामना करने के लिए साहस की मांग करता है।”
“geeta kee sabase vyaavahaarik shiksha, aur jisake lie yah duniya ke purushon ke lie ruchi aur mooly ka hai, jinake saath jeevan sangharshon kee ek shrrnkhala hai, kisee bhee rugnata ko raasta nahin dena hai jab kartavy kathorata aur bhayaanak cheejon ka saamana karane ke lie saahas kee maang karata hai.”
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लोकमान्य तिलक का मुख्य नारा क्या था?
लोकमान्य तिलक का प्रमुख नारा था ” स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और इसे में लेकर रहूंगा “
लोकमान्य तिलक कैसे विचारक थे?
लोकमान्य तिलक एक विद्वान क्रांतिकारी और गीता के कर्म के सिद्धांत पर चलने वाले विचारक थे वे कांग्रेस के नरम रवैये के खिलाफ थे जिससे 1907 में कांग्रस दो हिस्सों में बंट गयी गरम दल और नरम दल लोकमान्य गरम दल के प्रमुख थे उनके साथ लाला लाजपत राय और श्री बिपिन चन्द्र पाल थे जो लाल बाल पाल के नाम से प्रसिद्ध थे 1908 में लोकमान्य तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्माजेल भेजा गया यूँ तो लोकमान्य तिलक ने बहुत से किताबें लिखी इसमें से प्रमुख है श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य इससे अंदाजा लगया जा सकता है वे कितने कर्मठ थे उन्होने गीता के बारे में लिखा है “गीता की सबसे व्यावहारिक शिक्षा, और जिसके लिए यह दुनिया के पुरुषों के लिए रुचि और मूल्य का है, जिनके साथ जीवन संघर्षों की एक श्रृंखला है, किसी भी रुग्णता को रास्ता नहीं देना है जब कर्तव्य कठोरता और भयानक चीजों का सामना करने के लिए साहस की मांग करता है।”