महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में /Mahavir Jayanti Wishes & Quotes &Wishes in Hindi

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महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में /Mahavir Jayanti Wishes & Quotes &Wishes in Hindi-हेल्ल्लो दोस्तों भगवान महावीर की जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र शक्ल पक्ष की त्रयोदशी को बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है इस वर्ष ४अप्रेल को महावीर जयंती मनाई जाएगीआज भगवान महावीर के जन्म दिवस के उपलक्ष पर आप सबको बहुत बहुत बधाई , धन्य है हमारी भारत भूमि जहाँ समय समय पर धर्म की सच्ची ज्योति जगाने के लिए संतों , गुरों और तीर्थंकरों का आगमन होता है जिनका अवतरण हम सबको सत्य से अवगत कराना होता है दोस्तों भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर थे। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार वर्ष पहले बैशाली के कुण्डग्राम में अयोध्या इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार हुआ था। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ केवलज्ञान का स्तर तीर्थंकरों में इस प्रकार है
मिथ्या दृष्टि सासादन सम्यक्-दृष्टि
मिश्र दृष्टि
अविरत सम्यक्-दृष्टि
देश-विरत
प्रमत्त सम्यक्
अप्रमत्त सम्यक्
अपूर्वकरण
अनिवृतिकरण
सूक्ष्म-साम्पराय
उपशान्तमोह
क्षीणमोह
सयोगकेवली- योग सहित केवल ज्ञान। इस गुणस्थान में अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, अनन्तसुख और अनन्त आत्मशक्ति प्राप्त हो जाते है।
अयोगकेवली – योग रहित केवल ज्ञान
जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया।जैन धर्म में समवशरण “सबको शरण”, तीर्थंकर के दिव्य उपदेश भवन के लिए प्रयोग किया जाता है| समवशरण दो शब्दों के मेल से बना है, “सम” (सबको) और “अवसर”। जहाँ सबको ज्ञान पाने का समान अवसर मिले, वह है समवशरण इसमें मुनि कोमल गद्दी पर विराजमान होते है परन्तु उसे छुते नही हैं
उससे दो ऊँगल उपर उनके मुख्य सिष्य विराजित होते हैं एनी स्क्स्भी इसी प्रकार होते हैं
पहले भवन में मुनि
दुसरे में, एक तरह की देवियाँ
तीसरे में, आर्यिका
अगले तीन भवन में, अन्य तीन तरह की देवियाँ
अगले चार भवन में, चार जातियों के देव (स्वर्गों में निवास करने वाले जीव)
ग्यारहवें भवन में पुरुष,
आखरी भवन में पशु 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई।

Table of Contents

महावीर जयंती 2023
महावीर जयंती
महावीर जयंती कब है
भगवान महावीर जयंती
महावीर जयंती कब है 2023
महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
महावीर जयंती पर निबंध
महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है
महावीर जयंती कब की है
Mahavir Jayanti Wishes & Quotes &Wishes in Hindi
FAQ
महावीर जयंती पर आप किसी को बधाई कैसे देते हैं?
महावीर का संदेश क्या था?
जन्म के समय भगवान महावीर का क्या नाम था?
महावीर स्वामी को ज्ञान की प्राप्ति कैसे हुई?

जैन दर्शन सबसे प्राचीन भारतीय दर्शन में से एक है। इसमें अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है

जैन दर्शन सबसे प्राचीन भारतीय दर्शन में से एक है। इसमें अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। आज की दुनियां को अहिंसा की बहुत जरूरत है आज विश्व में सभी देश हिंसा की आग में जल रहे हैं , हिंसा के कारन ही आज धरती पर असंख्य प्रजातियाँ नष्ट हो रही हैं हमारे धर्म हमें अहिंसा का ज्ञान देते आए हैं अगर हम सभी विश्व के लोग अहिंसा का मार्ग अपना लें तो धरती पर लगभग सभी समस्याओं का समाधान निश्चित है
भूत, भावी और वर्तमान के अर्हत् यही कहते हैं-किसी भी जीवित प्राणी को, किसी भी जंतु को, किसी भी वस्तु को जिसमें आत्मा है, न मारो, न अनुचित व्यवहार करो, न अपमानित करो, न कष्ट दो और न सताओ।जैन धर्म में सब जीवों के प्रति संयमपूर्ण व्यवहार अहिंसा है। अहिंसा का शब्दानुसारी अर्थ है, हिंसा न करना। इसके पारिभाषिक अर्थ विध्यात्मक और निषेधात्मक दोनों हैं। रागद्वेषात्मक प्रवृत्ति न करना, प्राणवध न करना या प्रवृत्ति मात्र का विरोध करना निषेधात्मक अहिंसा है; सत्प्रवृत्ति, स्वाध्याय, अध्यात्मसेव, उपदेश, ज्ञानचर्चा आदि आत्महितकारी व्यवहार विध्यात्मक अहिंसा है। संयमी के द्वारा भी अशक्य कोटि का प्राणवध हो जाता है, वह भी निषेधात्मक अहिंसा हिंसा नहीं है। निषेधात्मक अहिंसा में केवल हिंसा का वर्जन होता है, विध्यात्मक अहिंसा में सत्क्रियात्मक सक्रियता होती है। यह स्थूल दृष्टि का निर्णय है। गहराई में पहुँचने पर तथ्य कुछ और मिलता है। निषेध में प्रवृत्ति और प्रवृत्ति में निषेध होता ही है। निषेधात्मक अहिंसा में सत्प्रवृत्ति और सत्प्रवृत्यात्मक अहिंसा में हिंसा का निषेध होता है। हिंसा न करनेवाला यदि आँतरिक प्रवृत्तियों को शुद्ध न करे तो वह अहिंसा न होगी। इसलिए निषेधात्मक अहिंसा में सत्प्रवृत्ति की अपेक्षा रहती है, वह बाह्य हो चाहे आँतरिक, स्थूल हो चाहे सूक्ष्म। सत्प्रवृत्यात्मक अहिंसा में हिंसा का निषेध होना आवश्यक है। इसके बिना कोई प्रवृत्ति सत् या अहिंसा नहीं हो सकती, यह निश्चय दृष्टि की बात है। व्यवहार में निषेधात्मक अहिंसा को निष्क्रिय अहिंसा और विध्यात्मक अहिंसा को सक्रिय अहिंसा कहा जाता है।
भूत, भावी और वर्तमान के अर्हत् यही कहते हैं-किसी भी जीवित प्राणी को, किसी भी जंतु को, किसी भी वस्तु को जिसमें आत्मा है, न मारो, न अनुचित व्यवहार करो, न अपमानित करो, न कष्ट दो और न सताओ।

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णमोकार मन्त्र

णमोकार मन्त्र जैन धर्म में महत्वपूर्ण मन्त्र है
णमो अरहंताणं – अरिहंतों को नमस्कार हो।
णमो सिद्धाणं – सिद्धों को नमस्कार हो।
णमो आइरियाणं – आचार्यों को नमस्कार हो।
णमो उवज्झायाणं – उपाध्यायों को नमस्कार हो।
णमो लोए सव्व साहूणं – इस लोक के सभी साधुओं को नमस्कार हो।
एसो पंच णमोक्कारो – यह पाँच परमेष्ठियों को किया हुआ नमस्कार
सव्वपावप्पणासणो – सभी पापो का नाश करने वाला है
मंगलाणं च सव्वेसिं – और सभी मंगलो में
पढमं हवइ मंगलं – प्रथम मंगल है

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महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में

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सत्य -सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।

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अहिंसा – इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पाँच इंद्रीयों वाले जीव) है उनकी हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो।

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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अचौर्य-दुसरे के वस्तु बिना उसके दिए हुआ ग्रहण करना जैन ग्रंथों में चोरी कहा गया है।

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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अपरिग्रह – परिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही संदेश अपरिग्रह का माध्यम से भगवान महावीर दुनिया को देना चाहते हैं।

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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ब्रह्मचर्य- महावीर स्वामी ब्रह्मचर्य के बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश देते हैं कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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क्षमा -क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं “मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूँ। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा माँगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ।”

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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‘मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पाप वृत्तियाँ प्रकट की हों और शरीर से जो-जो पापवृत्तियाँ की हों, मेरी वे सभी पापवृत्तियाँ विफल हों। मेरे वे सारे पाप मिथ्या हों।’

महावीर जयंती 2024के सुअवसर पर शुभकामना संदेश हिंदी में
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स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयं पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी.खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है

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. अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.
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सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.

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आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत.

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. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है.

14

शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.

15

प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.

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. भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.

17

. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.

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. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है.

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भगवान महावीर के 10 अनमोल वचन
भगवान महावीर के सिद्धांत
जैन धर्म कोट्स
भगवान के सत्य वचन

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