Hindi Kavita Sangrah/हिंदी कविता संग्रहहेलो दोस्तो आज मैं अपनी साइट Dard e Jazbaat में आपके लिए हिंदी कविता संग्रह लेकर आई हूँ आजके इस आर्टिकल में आपको हिंदी कविता पढ़ने को मिलेंगी ,
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Hindi Kavita Sangrah/हिंदी कविता संग्रह
हिदी कविता मेरे गाव का शावन
घिर घिर आए काले बादल
काले भूरे सारे बदल
भिन्न भिन्न आकर्ति वाले
उमड़ घुमड़ बरसते बादल
छटा मेरे गावं के शावन की
आती आनंदित मन भावन सी
लहराए दालों की पाती पाती
हर तरफ फैली हरियाली
दूर कहीं घने वनों मे
घसियारों की टोली गाती
आपस मे सब सखिया गाती
झोड़े चाँचर गीत सुनाती [[झोड़े चाँचर ]] पहाड़ी संगीत
इन सब मेन संघर्ष बहुत था
फिर भी इनां बहुत खुस था
तारों की छाँव मे था जगता
रात होने तक न थकान /
आनाजों के खेत लहराते
पशुधन से गोठ भरे थे [गोठ पशु का स्थान ]]
घरों मे था आना जाना
साग दूध मिल बैठकर खाना
रातों को जब बैठक सजती
किस्से कहानियों की महफ़िल सजती
बातों ही बातों मे सब
भूल जाते अपना गम
आमा बूबू के भूतों के किस्से
सब बच्चे दम साद रह सुनते
सस्पेंस जब खत्म हो जाता
हर बच्चा सहमा सा रहता
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दोस्तों जिंदगी इक सफर है , कभी आसान तो कभी मुश्किल सफर है। कभी सुख तो कभी दुःख में जिंदगी की दौड़ है इस सफर में जो इंसान जिंदगी के दुखों से घबराता नहीं और सुख में कभी इतराता नहीं हैवहि इंसान सफर कहा जाता है आज जिंदगी के प्रति अपने भाव को दर्शाती ये कविता लेकर आई हूँ जिंदगी
कविता{ जिंदगी Life}
पल पल मुझे
आजमाती है जिंदगी
रंग बिरंगे ख्वाबगाहों
की सैर कराती है जिंदगी
कभी मीठे तभी कडवे
घुट पिलाती है जिंदगी
पल पल मुझे
आजमाती है जिंदगी
इक ख्वाब के शिवा कुछ
भी नहीं ये बताती है जिंदगी
फिर भी मर्ग तर्षणा मे
हर पल भटकाती है जिदगी
कभी रुलाती तो कभी
मुस्कराती है जिंदगी
पल पल मुझे
आजमाती है जिदगी
कभी तो बहुत सरल कभी
बहुत मुश्किल नजर आती है जिंदगी
कभी बहुत तेज कभी
थम सी जाती है जिंदगी
कभी दर्द की चुभन
कभी गुदगुदाती है जिंदगी
पलपल मुझे बहुत
आजमाती है जिंदगी
ख्वाबों की इक इबारत है ,जिंदगी
ख्यालों की इमारत है जिंदगी
हादसों की दस्तक है जिंदगी
बारिश धूप पानी से सीचीजाए वो क्यारी है जिंदगी
हादसों के ताप रंजिशों की आग मे
विकास की दौड़ भाग मे हर पल मुस्करा
समय के पहिये के साथ साथ चलती जाए
हँस हँसकर जो जिंदगी सुनाए वो गीत है जिंदगी
मैंने जिंदगी से पूछा
तुझे केसे जियूँ ए जिदगी
सजा मुस्कान खुद के लबों पर
सबको मुस्कान बाँट यही है बंदगी
फिर हर पल मुस्कराएगी
तेरी ये जिदगी
हर पल मुस्कराने
का नाम है जिंदगी
]
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हिंदी कविता
अलबेली सुबह की बेला
हिंदी कविता
अलबेली सुबह की बेला
अलबेली सुबह की बेला मे
जब मंद पवन बहती है
सर सर पत्तों की सरसराहट से
तब मन की बगिया खिलती है
हरियाली खेतों की छबि स
अमियाँ की छाँव घनी की छाँव
कोयल की कुहकने से
तब मन की बगिया खिलती है
गर्मी मे जब पवन बहे
पत्थर तल से झरने बहें
शीतल जल से जब प्यास बुझे
तब मन की बगिया खिलती है
बन मरगों को दख
जब ग्वाल बाल हुरदंग मचाते हैं
गौ धुली बेला मे जब गोउ खुर से धूल उड़े
तब मन की बगिया खिलती है
हिम के उचे सिखर पै
सूरज की लालिमा पड़
तब स्वर्ण का वो सिखर लगे
तब मन की बगिया खिलती है
जब पीपल के छाँ
गाँव की चौपाल सज
मिल जुलकर सुख द
तब मन की बगिया खिलती है
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कविता – जीने का हुनर motivational
किश्तों मे जिंदगी को क्यूँ जिया जाए
क्यूँ न हर पल को जी भर जिया जाए
हासिल कुछ नहीं फिर क्यू रोनी सी सूरत बनाई जाए
जिंदगी से फिक्रमंद होकर क्यू पल पल मरा जाए
आए हैं पल भर को किरदार निभाने
क्यूँ न हँस कर हर किरदार निभाया जाए
जिंदगी मे तमाशा बहुत हैं युं ही
फिर क्यूँ इसे और तमाशा बनाया जाए
ओर कुछ न सही उन लबों पर मुस्कान सजाई जाए
कभी उनकी तो कभी खुद की कह सुनकर
जिंदगी को गीत बनाकर गुनगुनाया जाए
भीड़ के हजूम मे खो गई आदमीयत
स्वार्थ की परतों में मैली हुई नियत
अभी वक्त है कर लें कुछ परहित
भीड़ के हजूम से बच लें अपनी आदमीयत [
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हिन्दी कविता नदी – HINDI–KVITA- NADI
ओ नदी अल्हड़ सी
कहाँ से तू भ निकली
कल कल छल चाल सी बह
क्या तुझको कोई गम नहीं
छोड़ अपना धाम तू
गावं गावं सहर चली
जिधर से बहती धूम मचाती
भूखों की भूख प्यासों की प्यास मिटाती
तू माँ है हे नदी
पोषण सबका तू करती
बालक हम सब तेरे नादान
मिटा दे सबका अज्ञान
माँ कह कर तुझको शीश नवाते
तुझसे ही सुख स्मरधी पाते
खेत खलिहान खुशहाल बनाते
अस्थि बहाकर मुक्ति हैं पाते
बना तट पर तेरे कलकारखाने
मैला सब तुझमे बहाते
तेरे दम पर सबकुछ पाते
अफसोस बच्चों का फर्ज नहीनिभाते
क दिन जब तुम रूठ जाओगी
कल कल छल छल नहीं बहोगी
सुख सामरधि सब रूठ जाएगी
हरियाली सब सुख जाएगी
हिन्दी कविता मेरा गावं
छोटा स प्यारा स मेरा गाव
याद आता है बार बार प्यारा सा गावं
उजली सी धूप मे तरुवर की छाव
याद आता है मुझको प्यार सा गावं
दिल खोजता है वो बिछड़ा हुआ मंजर \
बचपन बीता जिस पथ पर
याद आता है नीला आसमा तारों कीछाँव
याद आता है मुझको प्यारा सा गावं
सुबह की बेला मे जगना
चिड़ियों का चहकना
अलसाई आखों को मलना
सूरज की किरणों का धरती से मिलना
कलियों का खिलना
भवरों का गुनगुनाना
ठंडी पवन का चलना
फूलों की खुसबू से बगिया का महकना
प्यासी धरा का तरसना
hindi kvita kisan हिन्दी कविता किसान
गर्मी की तपती अगन
शांत पड़ी है पवन
सूरज वर्षाता अगन
किसान का तपता बदन
बदन तपाकर अन्न उपजाता
सबका अन्नदाता बन जाता
फर्ज से न कभी अकुलाता
मेहनत से न कभी सकुचाता
बीते युग सदियाँ और वर्ष
जाना न मर्म मिटा न दर्द
मेहनत ही बस किसान का फर्ज
चुका सोकेंगे कभी इनका कर्ज ?
कभी सूखे की मार
कभी वर्षा की भरमार
हाथ मे जिसके जीवन की पतवार
वही रहा जीवन से हार
अर्थव्यवस्था की रीड़ किसान
जीवन की नीव किसान
सोचो गर न रहे किसान