मुसाफिर शायरी/Musafir Shayari

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मुसाफिर शायरी/Musafir Shayari – दोस्तों हम सब इस संसार में मुसाफिर हैं , इक अनजान सफर के मुसाफिर , हर रोज इक अनजान सफर पर निकल पड़ते हैं फिर थक कर बैठ जाते हैं फिर से नए सफर पर निकल पड़ते हैं , अगर मैं कहूँ की हमारी जरूरतों ने हमें सिर्फ मुसाफिर बना के रख दिया है तो शायद कोई अतिश्योक्ति नही होगी ,कोई किसी सुख चैन के लिए तो कोई मंजिल के लिए तो कोई अपनी मोहबत्त के सफर में मुसाफिर बन के चल रहा है आज मैं अपनी साईट Dard e Jazbaat में आपके लिए बेकरारी पर post मुसाफिर शायरी/Musafir Shayari लेकर आई हूँ

मुसाफिर शायरी
भटका हुआ मुसाफिर शायरी
मुसाफिर शायरी 2 लाइन
मुसाफिर शायरी रेख़्ता
अजनबी मुसाफिर शायरी
मुसाफिर शायरी हिंदी
थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर शायरी
मंजिल मुसाफिर शायरी

मुसाफिर शायरी/Musafir Shayar

मुसाफिर शायरी/Musafir Shayar

1

जिन्दगी की जरूरतों ने चलना सिखा दिया
जरूरतों की तलाश ने मुसाफिर बना दिया
jindagee kee jarooraton ne chalana sikha diya
jarooraton kee talaash ne musaaphir bana diya

2-

सीख जाएंगे चलते चलते इक दिन सफर में
मुसाफिर कब थकते हैं जिन्दगी के सफर में
seekh jaenge chalate chalate ik din saphar mein
musaaphir kab thakate hain jindagee ke saphar mein

3-

मुसाफिर हूँ चलते जाऊंगा
थकुंगा तो आराम करूँगा
मुश्किल लाख आएं हार नही मानूंगा
फिर दुगुने रफ्तार से चलूँगा
musaaphir hoon chalate jaoonga
thakunga to aaraam karoonga
mushkil laakh aaen har nahee maanoonga
phir dugune raphtaar se chaloonga

4

एक दिन मिलेगी मंजिल जरूर
अपने हौसले रखना मजबूत
हारते वो हैं जो चलना छोड़ते हैं
हिम्मत करने वाले कभी हारते नहीं हैं
ek din milegi manjil jaroor
apane hausale rakhana majaboot
haarate vo hain jo chalana chhodate hain
himmat karane vaale kabhee haarate nahin hain

5-

सफर ए जिंदगी में भीड़ तो होगी
भीड़ से घबराके रुकना नहीं
मंजिल पर नजर रख जीत होगी
पैरो के छालों से कभी थकना नहीं
saphar e jindagee mein bheed to hogee
bheed se ghabaraake rukana nahin
manjil par najar rakh jeet hogee
pairo ke chhaalon se kabhee thakana nahin

भटका हुआ मुसाफिर शायरी

भटका हुआ मुसाफिर शायरी

6

भटके हुए मुसाफिर को एक दिन मंजिल मिलेगी
आखिर ये जिंदगी कितना इम्तिहान लेगी
आदि आए या तूफान तलाश फिर भी रहेगी
थक के रुकना नहीं मुसाफिर जित तेरी होगी
bhatake hue musaaphir ko ek din manjil milegee
aakhir ye jindagee kitana imtihaan legee
aadi aae ya toophaan talaash phir bhee rahegee
thak ke rukana nahin musaaphir jit teree hogee

7

मैं मुसाफिर हूँ जिंदगी का
चलना और चलते रहना मेरा काम
वक़्त ही तय करेगा मेरा मुकाम
क्यों सोचों जीतूंगा या हो जाऊंगा काम
main musaaphir hoon jindagee ka
chalana aur chalate rahana mera kaam
vaqt hee tay karega mera mukaam
kyon sochon jeetoonga ya ho jaoonga kaam

8

भटके हुए मुसाफिर को हौंसलों का सहारा है
सही दिशा मिल जाएगी जिस दिन
भटकते मुसाफिर को मंजिल मिल जाएगी उस दिन
मत निरास हो मुसाफिर जीत होगी एक दिन
bhatake hue musaaphir ko haunsalon ka sahaara hai
sahee disha mil jaegee jis din
bhatakate musaaphir ko manjil mil jaegee us din
mat niraas ho musaaphir jeet hogee ek din

9

हर रोज नई ख्वाइशों ने मुझे
भटका हुआ मुसाफिर बना दिया
मजिल की तलाश में चलना सीख गया
ए जिंदगी की मुश्किलों का दिल से सुक्रिया
har roj naee khvaishon ne mujhe
bhataka hua musaaphir bana diya
majil kee talaash mein chalana seekh gaya
e jindagee kee mushkilon ka dil se sukriya

10

मैं भटका हुआ मुसाफिर हूँ
मंजिल की तलाश में भटकता हूँ
कब हासिल होगी मजिल सोच में हूँ
इस तलाश में जिंदगी जीना भूल गया हूँ
main bhataka hua musaaphir hoon
manjil kee talaash mein bhatakata hoon
kab haasil hogee majil soch mein hoon
is talaash mein jindagee jeena bhool gaya hoon

मुसाफिर शायरी 2 लाइन

मुसाफिर शायरी 2 लाइन

11

मुसाफिर हैं जिंदगी की राहों में
सबकी अपनी मजिल की तलाश है
musaaphir hain jindagee kee raahon mein
sabakee apanee majil kee talaash hai

12

चलते रहने से एक दिन मंजिल मिलेगी जरूर
आखिर कब तक जिंदगी आजमाएगी हजूर
chalate rahane se ek din manjil milegee jaroor
aakhir kab tak jindagee aajamaegee hajoor

13

दौलत सौहरत मेरी मजिल नहीं
तेरे दिल तक पहुंचना है मेरी मजिल यही
daulat sauharat meree majil nahin
tere dil tak pahunchana hai meree majil yahee

14

मजिल की तलाश में हार जाओ तो कोई बात नहीं
तुम चलना ही चूछोड़ दो ये तो कोई बात नहीं
majil kee talaash mein haar jao to koee baat nahin
tum chalana hee choochhod do ye to koee baat nahin

15

माना की मजिल तक की दुरी बहुत है
मुश्किल ही श बताती हैं तुम में कितनी हिम्मत है
maana kee majil tak kee duree bahut hai
mushkil hee sh bataatee hain tum mein kitanee himmat hai

16

चलते रहने से मंजिल नजदीक आती है
तुम चार कदम चलो मजिल दस कदम पास आती है
chalate rahane se manjil najadeek aatee hai
tum chaar kadam chalo majil das kadam paas aatee hai

17

ओ जिंदगी के मुसाफिर दो ही रास्ते हैं तेरे पास
या तो रासों में चलता रह या बैत जा हो कर उदास
o jindagee ke musaaphir do hee raaste hain tere paas
ya to raason mein chalata rah ya bait ja ho kar udaas

18

चलते चलते थक कर हारा हुआ मुसाफिर बन जाऊंगा
बिना चले हार मानकर कायर नहीं कहलाऊंगा
chalate chalate thak kar haara hua musaaphir ban jaoonga
bina chale haar maanakar kaayar nahin kahalaoonga

19

सफ़र के मुसाफिर हार जीत की फ़िक्र छोड़ दे
तू चलता रह ये सब वक़्त के हाथ छोड़ दे
safar ke musaaphir haar jeet kee fikr chhod de
too chalata rah ye sab vaqt ke haath chhod de

मुसाफिर शायरी रेख़्ता

20

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
बशीर बद्र

21

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
बशीर बद्र

22

नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया
मीराजी

23

तुम्हारे साथ ही उस को भी डूब जाना है
ये जानता है मुसाफ़िर तिरे सफ़ीने का
फ़ारिग़ बुख़ारी

24

होता है मुसाफ़िर को दो-राहे में तवक़्क़ुफ़
रह एक है उठ जाए जो शक दैर-ओ-हरम का
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

25

ज़रा रहने दो अपने दर पे हम ख़ाना-ब-दोशों को
मुसाफ़िर जिस जगह आराम पाते हैं ठहरते हैं
लाला माधव राम जौहर

26

मुसाफ़िर तिरा ज़िक्र करते रहे
महकता रहा रास्ता देर तक
अक़ील नोमानी

27

इक जाम-ए-मय की ख़ातिर पलकों से ये मुसाफ़िर
जारोब-कश रहा है बरसों दर-ए-मुग़ाँ का
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

अजनबी मुसाफिर शायरी

अजनबी मुसाफिर शायरी

28

अजनबी मुसाफिर शायरी
सफर में मिला एक अजनबी मुसाफिर
आखों के रस्ते दिल में गया उत्तर
ajanabee musaaphir shaayaree
saphar mein mila ek ajanabee musaaphir
aakhon ke raste dil mein gaya uttar

29

अजनबी मुसाफिर शायरी
अजनबी मुसाफिर की कसीस दिल से जाती नहीं
सूरत उसकी भुलाई जाती नहीं
ajanabee musaaphir shaayaree
ajanabee musaaphir kee kasees dil se jaatee nahin
soorat usakee bhulaee jaatee nahin

29

मैं मुसाफिर सा चलता रहा तेरी तरफ
तू बेखबर ही रहा मुझसे बेगानों की तरह

30

मैं मुसाफिर हूँ तेरा तू मंजिल है मेरी
सोचता ये मंजिल कब होगी मेरी

31

जिन्दगी और आसान हो जाती
सफर मैं अगर हम दो मुसाफिर होते

32

तेरी हसरत के रास्ते हैं मेरे
मैं मुसाफिर हूँ तू मंजिल मेरी

33

जाने कब मिलेगी मंजिल मेरी
मैं सफर में हूँ मुसाफिर की तरह

34

तेरी मोहबत्त मेरी मंजिल है
थक गया हूँ बन गया मुसाफिर मैं

35

मेरी मंजिल इतनी भी नामुमकिन नही थी
अगर इस मुसाफिर को तेरा सहारा होता

36

मैं तलास में हूँ मुसाफिर सा
मंजिल तेरी मोहबत्त है मेरी

37

मैं थक गया हूँ तेरी मोहबत्त की राहों में
बन के रह गया मुसाफिर बनके सफर में

38

मेरा इम्तिहान मत ले जालिम मोहबत्त में
मैं मुसाफिर हूँ मोहबत्त का मुझे लगा ले सीने से

39

उसकी जुल्फों की चाह में जाने
कितने मुसाफिर बन गए होंगे
जाने तेरी चाहत में कितने
मुसाफिर फना होंगे

40

मुसाफिर हूँ तेरी राहे मोहबत्त का
तेरी जुल्फुं की छांव में शाम हो तो अच्छा

थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर शायरी

थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर शायरी

41

थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर
थक के मत बैठ मुसाफिर
तू तू जीतेगा हौसला रख

42

थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर
तू चलने से पहले मत डर
देख तो सही कैसा है सफर

43

थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर
तुझे है अगर मंजिल की प्यास
मत बुझने देना जितने की प्यास

FAQमुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा

FAQमुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा

44

मुसाफिर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊंगा
लाख पुकारोगे फिर भी न आऊंगा
musaaphir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
laakh pukaaroge phir bhee na aaoonga

45

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
सफर मुझसे कई लोग आते हैं जाते हैं
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
saphar mujhase kaee log aate hain jaate hain

46

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
मुसाफिर अजनबी सही जब भी पुकारोगे लौट आऊंगा
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
musaaphir ajanabee sahee jab bhee pukaaroge laut aaoonga

47

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
दिल में जगह हो तो बेगाने भी अपने बन जाएंगे
मैं मुसाफिर हूँ तो क्या वक़्त आने पर काम आऊंगा
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
dil mein jagah ho to begaane bhee apane ban jaenge
main musaaphir hoon to kya vaqt aane par kaam aaoonga

48

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
फितरत में वफ़ा हो अगर तो वफ़ा जरूर आजमाना
मुसाफिर हूँ यादों का जरूरत में हकीकत बन जाऊंगा
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
phitarat mein vafa ho agar to vafa jaroor aajamaana
musaaphir hoon yaadon ka jaroorat mein hakeekat ban jaoonga

49

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
वादा है जब भी पुकारोगे दौड़ा चला आऊंगा
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
vaada hai jab bhee pukaaroge dauda chala aaoonga

50

मुसाफ़िर हूँ साहब यादों से भी चला जाऊँगा
अपने किरदार से आपके दिल में उत्तर जाऊंगा
musaafir hoon saahab yaadon se bhee chala jaoonga
apane kiradaar se aapake dil mein uttar jaoonga

Love Shayari 2 Lines

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